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आचार्य श्री तुलसी
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"हमने जयपुरमे प्रथम श्रेणी के पुरुषोका देखा । आचार्यवर एक ऐसे धर्म-शासन के नेता है, जो ममताका पूर्ण प्रतीक है । ढो शताब्दीसे एकरूप में चलनेवाली इस माम्यपूर्ण पद्धतिका अध्ययन कर कोई भी समताप्रेमी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता |
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सुप्रसिद्ध समाजवादी नेता जयप्रकाशनारायणने तेरापन्थ संस्था के मूलभूत सिद्धान्तों और साधुओंकी सर्वतः स्वावलम्बी जीवन -प्रणालीसे परिचित होकर कहा
" एक के लिए सब और सबके लिए एकका सिद्धान्त तो समाजवाद काही सिद्धान्त है । तेरापन्थी साधु-सस्थाका सगठन बहुत ही कठिन समाजवादी सिद्धान्तो के आधार पर है । हिन्दू और जैन धर्ममे जो अन्यान्य सस्थाए है, उनके बडे-बडे मठ और असत्य धन-वैभव है । उनकी तुलनामे यह सस्था बहुत ही उच्चकोटिकी है । परन्तु हम साधु-सस्थाके उत्कृष्ट सिद्धान्तोको गार्हस्थय जीवनमे भी लागू करना चाहते है । न्याय और समता के आधार पर हमे 'बहुजन हिताय' समाज व्यवस्था करनी है और इस कार्यमे हमें आशा है कि काचार्यश्रीका श्राशीर्वाद हमारे साथ रहेगा ।"
आचायवर 'एकोऽहं बहु स्याम्' की कोटिकी आत्मा है । विविध विचार और भावनाके लोग आपको विविध रूपमे पाकर एक महान् शक्तिकी कल्पना किये बिना नहीं रह सकते ।
कलकत्ता विश्वविद्यालयके आशुतोप प्राध्यापक, संस्कृत विभागाध्यक्ष डा० सातकडि मुकर्जी एम० ए० पी० एच डी० ने
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