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आचार्य श्री तुलमी
-यही सच्ची शान्ति है । क्षणिक शान्ति के लिए स्थायी शान्तिको खतरे मे मत डालो - इसका नाम है सच्ची शान्ति | शान्तिके लिए अशान्तिको उत्पन्न मत करो - यह है सच्ची शान्ति । शान्तिके इच्छक हो तो शान्तिके पथपर चलो। यही सच्ची शान्तिका सही रास्ता है ।"
आपकी विचारधारामे असीम धार्मिक औदाय्य है । वर्तमान स्थितिको समन्वित करने की क्षमता है। लोक- स्थिति को समझे बिना कोई व्यक्ति व्यवहारदक्ष नहीं बन सकता । एक कविने कहा है
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"काव्य करोतु परिजल्पतु संस्कृत वा, सर्वा कला समधिगच्छतु वाच्यमाना । लोकस्थिति यदि न वेत्ति यथानुरूप, सत्रस्य मूर्खनिकरस्य स चक्रवर्ती
आपने अनेकान्त दृष्टिको केवल सिद्धान्तरूपसे ही स्वीकार नहीं किया है, आप अनेकों प्रयोग और शिक्षाएँ उसके सहारे फलित करते है । आजके राजनीतिक या वैज्ञानिक जो धर्म पर आस्था नहीं रखते, लोगोंकी दृष्टिमे वर्तमान अनैतिकता के लिए उत्तरदायी है । किन्तु आप इस कसौटीको एकान्ततः सही नहीं मानते । 'लन्दन जैन - कॉन्फन्सके लिए दिये गये सन्देशमे आपने कहा है
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“आजके राजनीतिकोंने धर्मको अफीम बताकर जनताके रुखमे परिवर्तन ला दिया । अतएव वर्तमान युग धर्मका उतना