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आचार्य श्री तुलगी श्री तुलसी आचार्य-पदका अभिषेक पाने आ रहे है। गाशुओं की मण्डली साथ है। जनताने जाना। बडी तत्परताके साथ सब साथके साथ उठे। अपने उदीयमान वर्म-अधिनायकका अभिनन्दन किया।
आप पाट पर विराज गये। आपके एक ओर माधु, दूसरे ओर साध्वियों बैठ गई। सामने अपार जन-समुदाय था।
परम श्रद्धेय श्री कालुगणीके स्वर्गवासके बाद यह पहला समारोह था।
सबसे पहले मङ्गलाचरणमे नमस्कार-महामन्त्रका पाठ हुआ। उसके बाद मंत्री मुनि मगनलालजी स्वामीने आपको नई पछंबडी धारण कराई। यह था आपका पट्टाभिपेक । समूचे संघने संघगान 'जय जय नन्दा' गा आपका अभिनन्दन किया। विद्वान् साधु-साध्वी तथा श्रावकवर्गने कविताए पढीं। आपने एक संक्षिप्त प्रवचन किया। कालुगणीकी अविस्मृत स्मृति कराते हुए उनके महान् व्यक्तित्व पर कुछ बात कहीं। उत्सवके उपलक्ष्यमे साधुसाध्वियोंको गाथाएँ ' बख्शीश की। समारोह सम्पन्न हो गया। ___ वह दिन लाखों व्यक्तियोके लिए अचरजका दिन था। उन्होंने देखा-तेरापन्थके एकतन्त्रीय धर्म-शासनका भार एक २२ वर्षीय युवकने सम्हाला है। किसने जाना कि इसकी रश्मियो मे विश्वको आलोकित करने की शक्ति है, यह कोई सन्देश लेकर
१ लिपि-विकास तथा पारस्परिक कार्य व्यवहारकी व्यवस्थाकी एक
साधन-प्रणाली।