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प्राचार्य श्री तुलगी
(६) 'विश्वशान्ति और उसका मार्ग (७) धम सब कुछ है, कुछ भी नहीं (८) वाद का व्यामोह (६) 'अपरिग्रह और अर्थवाद (१०) “संघप कसे मिटे ? (११) 'बिदाई सन्देश (१२) "धर्म और भारतीय दर्शन (१३) गणतन्त्र की सफलताका आवार-अध्यात्मवाद (१४) भारतीय संस्कृतिकी एक विशाल धारा
१-शान्ति-निकेतनमे प्रायोजित 'विश्व शान्ति सम्मेलन' के अवसर पर २-जनवरी सन् १९५०, के दिल्ली के 'सर्व-धर्म-सम्मेलन के अवसर पर ३-भिवानी ( पजाब ) अापाढ (प्रथम ) शुक्ला १४, स० २००७ ४-- दिल्लो-सब्जीमण्डीमे आयोजित 'साहित्य-गोप्ठी' मे ज्येष्ठ __ शुक्ला १२, स० २००७ ( २८ मई, ५०) ५-नई दिल्ली 'सम्पादक-सम्मेलन' में दूसरा वक्तव्य ज्येष्ठ कृष्ण ३०
(१६ मई, ५०) ६-आषाढ कृष्णा ८ गुरुवार, करोलबागमे , देहल से विदाई के अवसर पर ७-कलकत्तामें डा० राधाकृष्णन्की अध्यक्षतामें आयोजित भारतीय
दर्शन-परिषद्' के रजत-जयन्ती समारोहके अवसर पर ८-हासी (पजाब), २६ जनवरी, १९५१ ९-हासी (पजाब ), आश्विन, २००७