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कवि योर लेन्वक
इनमे 'अशान्त विश्वको शान्तिका सन्देश' यह आपका पहला नन्देश। द्वितीय महासमरकी भोपण लपटोसे झुलसे हुए संसार ने इसकाार्दिक स्वागत किया। देश और विदेशमे सब जगह अच्छी प्रतिक्रिया : महात्मा' गाधीने 'मन्देश' की पुस्तिकापर का जगा. टिप्पणियां लिखीं। शान्ति-मन्देश ता०२०-६-४५ के दिन दिया गया था परन्तु प्रकाशित काफी लम्ब समय के बाद हुआ इसलिए भूमिकाके पृष्ठ पर महात्माजीने लिया से सन्देश निकालने देशपचा विश्य-शान्तिक उपायोका निर्देश करते E'नग्यपन्य का जिन किया गया है। उसके बारेमे पृष्ट ११ पर मामाजीने यिा; 'या एस सम्यन्वका प्रचार कियागया ?" प्रन्ट २१ पर विश्वास्तिर मायभीम उपायांका निर्देश करते है। नोनात यनताः ग मपर टिप्पणी करते हुए लिया-'या
Ram कि दुनिया न माापुरकान नियमांची मान रानी।