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कवि और लेखक
आपकी सर्वतोमुखी प्रतिभा प्रत्येक क्षेत्रमे अबाध गतिसे चमक रही है। साहित्य-जगत् आपके ऋणसे मुक्त नहीं है। आपकी अमर कृति 'कालु यशोविलास' साहित्य जगत्का एक देदीप्यमान रत्न है। उसमे शब्दोंका चयन, भावोकी गम्भीरिमा, वर्णनाकी प्रौढता, परिस्थियोंका प्रकाशन, घटनाओंका चुनाव ऐसी भावुकताके साथ हुए है कि वह अपने परिचयके लिए परनिरपेक्ष है । संगीतके मिठाससे भरापूरा वह महाकाव्य जैन-सन्तो की साहित्य-साधनाका जीवित प्रमाण है।
भारतीय साहित्यकी सन्तोंके मुहसे प्रवाहित हुई धारा विश्व की सम्माननीय निधिमे अपना स्वतन्त्र अस्तित्व बनाये हुए है। मोह-मायासे दूर तटस्थ वृत्तिमे रहनेवाले साधु-सन्तोंकी वाणीसे