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पागल वरता
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की प्रतिताकी और उन्होंने अपनेको धन्य समझा। आपकी सार्वजनीन वृतिका तब हृदयग्राही साक्षात होता है, जब आप गावाकी जनताके बीच पहचकर उनकी सीधी-सादी बोलीमे उन्हें जीवनमुबारकी बात सुनाते है, सत्य-अहिंसाका उपदेश देते है । आपकी पुन लोकांनर प्रवृत्तिका उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति डा. राजेन्द्रप्रमादने बड मामिक उद्गार व्यक्त किये है। वे अपने एक पत्रम लियत है