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कुशल वक्ता
मानव-समाजको लक्ष्यकी ओर आकृष्ट करनेके दो प्रमुख साधन है - लेखन और वाणी । लेखनीमे जहा भावोको स्थायी बनानेका सामर्थ्य है, वहा वाणोमे तात्कालिक चमत्कार-जादका सा असर होता है। आपने अपनी ओजस्वी वाणी द्वारा युवकहृदयमे जो धर्मका पौधा सींचा है, वह धार्मिक जगत्के उज्ज्वल भविष्यका मंगल-संकेत है।
आजके भौतिकवादी युग और आत्महीन शिक्षा-पद्धतिमे पले हुए अर्ध-शिक्षित युवकोंकी धर्मके प्रति अश्रद्धा होना एक सहज स्थिति बन गई, वैसे वातावरणमे आपकी मर्मस्पर्शी विवेचना और तर्कसंगत उत्तरोंने युवकोंकी दिशा बदलनेमे जो सफल प्रयास किया है, वह सबके लिए उपादेय है ।