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प्राचार्य श्री तुलसी कालुगणीका स्वर्गवास हुए पूरे पन्द्रह दिन नहीं हुए थे, आपने साध्वियोंको संस्कृत-व्याकरण-कालुकोमुदीका अध्ययन शुरू करवाया। वह आपके जीवनका अभिन्न कार्यक्रम बन गया । आज भी उसी रूपमें चालू है। साध्वी-शिक्षाके लिए आपने जो सफल प्रयास किया, वह आपके यशस्वी जीवनका एक समुज्ज्वल पृष्ठ होगा। ___ इस विशेष शिक्षामे शुरू-शुरूमे १३ साध्विया आई थीं। आज उनकी संख्या लगभग १५० है। साध्वी-शिक्षाके बारेमे अपने उद्गार व्यक्त करते हुए आप कई बार कहते है:
"शिक्षाके क्षेत्रमें हमारी साध्विया किसीसे पीछे नहीं है। इनके पवित्र आचार-विचार, विद्यानुराग और निष्ठा प्रत्येक नारी के लिए अनुकरणीय है।"