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शिक्षा-प्रवृत्तियां
आचार-फौशलको सुसंस्कृत रखने के लिए विचारोंकी भित्ति विवेचनापूर्ण होनी चाहिए । वहुमुखी शिक्षाके विना यह सम्भव नहीं। इसलिए आपने उन पर अपना ध्यान केन्द्रित किया। आपकी शिक्षा सम्बन्धी प्रवृत्तियोकी जानकारी भी फम महत्त्व पूर्ण नहीं है।
विधा विकासको प्रवृत्तिका पहला अंग है तीन पाठ्यक्रमोंका निर्माण। पद योहै.
(1) मायामि तिम (E)माम (1) नवम-सिरम
पाली प्रवृत्ति त्यावरण (हिन्दी, संकट और प्राप), सावि. रिटान्न. दर्शन, मीरा, इतिहास, स्वादिष. न्य