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प्रशस्तियां अब अशोक के नाम से प्रसिद्ध है सम्भवतः वे 'सम्प्रति' ने लिखवाई होगी। पर सर विन्सेन्ट स्मिथ की राय इससे विरुद्ध है। वे उन सब लेखों को अशोक के ही प्रमाणित करते हैं। उनकी राय में 'सम्प्रति' पुराणों में के राजा, 'दशरथ' अशोक के पौत्र जिनके कुछ लेख गुफाओं पर पाये गये हैं, का दूसरा नाम रहा होगा। जो हो इस विषय में अभी और भी खोज व छानवीन की जाने की आवश्यकता है।
(२) पुरी जिले में उदयगिरि पर्वत पर हाथी गुम्फा नामक गुफा में एक बड़ा बहुमूल्य लेख कलिंग के राजा खार बेल का है । इस लेख का पता सन् १८२० ई० में स्टार लिंग साहब ने लगाया था । इसका जैनियों से सम्बन्ध डा० भगवानलाल इन्द्रजी ने सिद्ध किया था, पर इसका पूरा २
और सच्चा मर्म हाल ही में मि० काशीप्रसाद जायसवाल ने समझा है, और उसका विस्तृत विवरण 'विहार और उड़ीसा की रिसर्च सोसाइटी के जर्नल' जिल्द ३ पृ. ४२५ से ४६७ व ४७३ से ५०७ में प्रकाशित किया है। लेख की पूरी नकल हिन्दी अनुवाद सहित ब्रह्मचारीजी की ' बंगाल विहार व उड़ीसा के प्राचीन जैन स्मारक' नामक पुस्तक में भी छप चुकी है । लेख प्रारम्भ यों होता है :--
'नमो अरहंतान' नमो सवसिधान' इससे स्पष्ट है कि इसका लिखाने वाला निस्सन्देह जैन-धर्मावलम्बी था। लेख में सं० १६५ उधृत है। प्रश्न उठता है कि यह कौनसा
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