________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सं० प्रा० प्राचीन जैन स्मारक।
प्राचीन मूर्ति स्थापित है तथा श्री शान्तिनाथ पार्श्वनाथ और महावीरजी की भी मूर्तियां हैं। यहां महावीर स्वामी को युगवीर कहते हैं । एक पाषाण पर वृक्ष की छाया में माता पिता की गोद में खेलते हुए महावीर स्वामी का चित्र है ऐसा डा. फुहरर को रिपोर्ट से प्रगट हुअा है । यहां का सबसे बड़ा टीला १२० वर्गफुट और १८ फुट ऊंचा है।
(७) पदरौन-कासिया से १२ मील और गोरखपुर से ४६ मील । यह एक बहुत प्राचीन स्थान है। सबसे बड़ा टीला २२० फुट चौड़ा, १२० फुट लम्बा व. १४ फुट ऊंचा है । इस टीले से उत्तर की तरफ एक प्राचीन खण्डित जैन मन्दिर है जिसमें बहुतसी पाषाण की खण्डित मूर्तियां विद्यमान हैं। यह मन्दिर अब हाथी भवानी का मन्दिर कहलाता है। परन्तु यथार्थ में मूर्ति भवानी देवी की नहीं है किन्तु एक जैन मूर्ति है। ___इस पुराने मन्दिर के पास एक नया मन्दिर हाल में बन. वाया गया है।
कनिंघम साहब की मति अनुसार इस स्थान का प्राचीन नाम ' पावा ' है।
(1) रुद्रपुर-परगना सिलहट तहसील हाट । १ देखो' कनिघम प्रारकिलाजिकल सर्वे रिपोर्ट, जिल्द पहली, तथा बुचानन 'पुर्वीय भारत ' जिल्द दूसरी।
For Private And Personal Use Only