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गोंडा।
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मयूरध्वज, हंसध्वज, मकरध्वज, सुधन्वध्वज, सुहिलदलध्वज । सुहिलदल महमूद गजनी का समकालीन था और सलार मसऊद का शत्रु था। मि० बेनेट की राय है कि इस राजा का कुटुम्ब जैनी था।
( देखो अवध गजटियर जिल्द तीसरी सफा २८३)
डा० फुहरर की रिपोर्ट (सफा ३०८) से विदित हुआ कि ११ वीं शताब्दी में श्रावस्ती में जैन धर्म बहुत उन्नति पर था क्योंकि तीर्थंकरों की कई मूर्तियां जिन पर संवत १११२, ११२४, ११२५, ११३३, ११२२ है यहां खोद कर निकाली गई थी जो अब लखनऊ अजायबघर में रक्खी हैं । सुहृद्ध्वज महमूद गज़नी के समय में हुअा । यह सय्यद सालार का शत्रु तथा श्रावस्ती के जैन राजाओं में अंतिम राजा था। हाथिली पर्गना महादेव तहसील नरावगंज, गोंडा से पूर्व दक्षिण १२ मील पर है । यहीं पर सुहृद्ध्वज ने सैय्यद सालार को मारा था । इसको सुहिलदेव भी कहते हैं । यह अशोकपुर का राजा था। ___ अवध गजेटियर जिल्द तीसरी सफा २८३-८४ से मालूम हुआ कि जब सुहृद्ध्वज की विजय हुई तब से ४० वर्ष करीब के पीछे जैन वंश का विध्वंश हुा । इसकी यह कहावत प्रसिद्ध है कि राजा कहीं गया हुआ था सो लौट कर उस समय आया जब सूर्य अस्त हो रहा था। रात्रि को भोजन
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