Book Title: Sanyukta Prant Ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Shitalprasad Bramhachari
Publisher: Jain Hostel Prayag

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Page 109
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६-बहरायच (गज़० छपा १६०३) इसकी चौहद्दी यह है-उत्तर और उत्तर पूर्व-नेपाल, पूर्व में गोंडा, पश्चिम में खेरी व सीतापुर ज़िला; दक्षिण में वारावंकी। इसमें २६२७ वर्ग मील स्थान है। (१) चरदा-तहसील नानपारा-बाबागज से मल्हीपुर और हटौना जानेवाली सड़क पर एक ग्राम बावागंज से २ मील । इस जिले के अन्य प्राचीन स्मारकों की भांति यहां भी बहुत से स्मारक राजा सुहिलदेव के बनवाये कहे जाते हैं। पुराने किले के खंडहर है। (२) टांडवा-परगना हकौना तहसील बहरायच । हकौना से ४ मील । यह पुरानी जगह है। ग्राम के उत्तर पश्चिम एक टीला ८०० फुट लम्बा व ३०० फट चौड़ा है । इस टीले के दक्षिण पश्चिम कोने में कनिंघम ने एक बड़ा स्तूप पाया था जिसकी बड़ी बड़ी भीतें अब भी खड़ी हैं। और भी कई टीले हैं। 40 For Private And Personal Use Only

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