Book Title: Sanyukta Prant Ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Shitalprasad Bramhachari
Publisher: Jain Hostel Prayag

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Page 141
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३३--एटा (गजेटियर छपा १९११) इसकी चौहद्दी इस प्रकार है: उत्तर में गंगा नदी बदाऊँ जिला; पश्चिम में अलीगढ़, मथुरा, आगरा; दक्षिण में आगरा और मैनपुरी, पूर्व में फर्रुखा बाद । इसमें १७२२ वर्ग मील स्थान है। इतिहास में लिखा है कि अतरंजी खेड़ा और अन्य स्थानों के बड़े २ टोलों को व विलसर के खंडित स्थानों को देख कर यह प्रगट है कि बहुत प्राचीन काल में इस जिले में बड़े और ऐश्वर्यपूर्ण नगर थे । कनिंघम ने विलसर को खुदवाया था और वहां एक मंदिर के खंड मिले थे। उस मंदिर में राजा कुमार गुप्त प्रथम का लेख था। जो गुप्त सं०६६ या ४१५ ई० में हो गया है। (१) अतरंजी खेड़ा-एटा से उत्तर १० मील सोरों से १५ व संकिसा से ४३ मील । कहते हैं कि प्रसिद्ध चक्रवर्ती राजावेन के बड़ों ने यहां एक दृढ़ किला बनवाया था । हुइनसांग ने इस जगह को पिलोचन लिखा है। इस नगर में राजा अशोक का एक स्तूप था। __ (२) विलसर-पर्गना श्राज़मनगर तहसील अलीगंज। यहां पश्चिम के कोने में एक टीला है । उसकी सबसे ऊंची For Private And Personal Use Only

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