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३५-मथुरा
( गजेटियर छपा १९११) इसकी चौहद्दी इस प्रकार है।
उत्तर-पश्चिम-गुड़गाँव, उत्तर पूर्व अलीगढ़, दक्षिण में श्रागरा, पश्चिम में भरतपुर राज्य । इसमें १४४५ वर्ग मील स्थान है।
इसके इतिहास में वर्णित है कि यह मौर्य राज्य का प्रसिद्ध नगर था। सन् ई० से ५०० वर्ष पूर्व से लेकर सातवीं शताब्दी तक मथुरा में बौद्धमत का ज़ोर रहा। मथुरा मठ के साधु उपगुप्त ने अशोक मौर्यको बौद्धमती बनाया (नोट. यह सिद्ध है कि राजा अशोक पहले जैनी था। इसका पिता विंदुसार व दादा राजा चंद्रगुप्त भी जैनी था)। सन ई० से १८४ वर्ष पूर्व में मौर्यो का राज्य समाप्त हुआ और पुष्यमित्र ने संगवंश स्थापित किया । उसके राज्य में ग्रीकराजा मिनन्दर मथुरा को ले लिया । इसने बौद्धमत स्वीकार कर लिया । बौद्ध साहित्य में इसको राजा मिलिन्द के नाम से लिखा है !
इस मिनन्दर के समयसे लेकर कुशान वंश के समय तक मथुरा इन्डो-ग्रीक अर्थात् हिन्दी यूनानी राजाओं के अधिकार
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