Book Title: Sanyukta Prant Ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Shitalprasad Bramhachari
Publisher: Jain Hostel Prayag

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Page 149
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 10 सं० प्रा० प्राचीन जैन स्मारक । - (२) परखन-मथुरा से दक्षिण १७ मील-कानपुर अचनेरा रेलवे का एक स्टेशन है। यहां १८८२ में एक मनुष्य की बड़ी मूर्ति मिली थी जो सात फुट ऊँची व २ फुट चौड़ी है व भूरे पाषाण से बनी है व जिस पर अशोक के समय का लेख है। अब तक मथुरा में जितने स्मारक मिले हैं उन सब से यह प्राचीन है तथा यह मूर्ति मथुरा के अजायबघर में रक्षित है ( कनिंघम पार० जि०२० सफा ३६-४१) । नोट-इसको देखना चाहिये । (३) सहपन-तहसील सादाबाद । जैसवाल जैनों का हाल का मंदिर श्री नेमिनाथ जी का है । यह मंदिर एक पुराने किले पर है, जो बहुत उठा हुआ है तथा जिसने १३ बीघा जमीन घेरी है । इस किले से काले कंकड़ की बहुत बड़ी २ शिलायें मिली हैं-कुछ जैन पाषाण वहां फैले पड़े हैं। इनमें से एक पाषाण बहुत ध्यान देने योग्य था। उसको मि० प्रैसे ने मथुरा अजायबघर में रक्खा है। नगर के बाहर एक चबूतरा है जिसको भद्र काली माता का पवित्र स्थान कहते हैं। इस के ऊपर बहुत सी जैन मूर्तियां रक्खी हुई हैं। अरकिलाजिकल सरवे रिपोर्ट सन् १९०६-७ में सफा १४१ पर लेख है कि अर्जनपरा के टीले में मौर्य समय के बड़े स्तूप के अंश मिले हैं। पुराने किले के सीतलघाटी तथा रानी की मंडी पर जैन स्मारक मिले हैं। For Private And Personal Use Only

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