Book Title: Sanyukta Prant Ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Shitalprasad Bramhachari
Publisher: Jain Hostel Prayag

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Page 159
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org स्मृति 'स्व० कुमार देवेन्द्र प्रसाद जैन' श्रारा, की स्मृति किस हिन्दी प्रेमी के हृदय में न होगी। उन्हीं के वियोग में उनके परम मित्र पं० गिरिजादत्त शुक्ल 'गिरीश बी. ए. द्वारा यह भाव पूर्ण कविता प्रवाहित हुई है । भाषा और भाव दोनों बहुत ही हृदयग्राही हैं। राज संस्करण ||) जो लोग बिना मूल्य वितरण के लिये, इसकी ५० व अधिक प्रतियां खरीदना चाहें उन्हें यह आधी कीमत में मिल सक्ती है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कीमत www. पता पं० गिरिजादत्त शुक्ल ' गिरीश ' बी. ए. साधारण । बैनीमाधव ग्रन्थमाला, जैनहोस्टल, अलाहाबाद | For Private And Personal Use Only

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