Book Title: Sanyukta Prant Ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Shitalprasad Bramhachari
Publisher: Jain Hostel Prayag

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Page 143
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ३४ - आगरा (गज़ै० छुपा १६०५ ) इसकी चौहद्दी इस प्रकार है: पश्चिम में भरतपुर राज्य, दक्षिण में धौलपुर, ग्वालियर, उत्तर में मथुरा, एटा: पूर्व में मैनपुरी, इटावा । इसमें १८५३ मी स्थान है 1 इतिहास में कथन है कि यहां बटेश्वर और सूर्यपुर वास्तव में बहुत प्राचीन हैं । अपोलादातस (ग्रीक राजा ) का एक सिक्का और कुछ पारथियों का धन यहां मिला है, ऐसा कहा जाता है । परन्तु जो थोड़े पत्थर खोदे गए हैं वे सब जैन स्मारक हैं उनमें से केवल एक बौद्ध मालूम होता है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१) बाह - यहां भदावर के राजा रहते थे । भदौरियों के पुराने किले हैं। (२) बमरौली कटरा- यहां भी प्राचीनता है। बटेश्वर - आगरा से ४१ मील उत्तर पूर्व की तरफ जो पुराना खेड़ा तथा उत्तर की तरफ जो खडा है इन टीलों पर बहुत सी प्राचीन वस्तुएं जैसे ईंटे, मकान, सिक्के व पाषाण मिले हैं। यह सब T प्राचीन स्मारक प्रगट रूप से जैन हैं । ( The relics are A -FL For Private And Personal Use Only

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