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फर्रुखाबाद।
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युद्ध ने राज्य किया। इस इन्द्रयद्ध को बंगाल के राजा धर्मः पाल ने सन ८०० ई० में राज्यच्युत कर दिया । कुछ काल पीछे गुजरात के राजा नागभट्ट द्वितीय ने हमला किया
और ले लिया। इसी नागभट्ट से कन्नौज के परिहार राजाओं की उत्पत्ति हुई है, जिनका वंश गुर्जर था यह प्रमाणित हो गया है। नागभट्ट का पोता राजा मिहिर या भोज प्रथम सन् ८४० से ८६० में हो गया है। इस समय कन्नौज बड़े राज्य का मध्य स्थल माना जाता था। शिला लेखों से प्रमाणित है कि इसके राज्य में सौराष्ट्र, अवध, ग्वालिपर, और कर्नाल शामिल थे। उसका पुत्र महेन्द्रपाल हुआ , तथा पोता भोज द्वितीय हुा । फिर राजा महीपाल ने सन ५० में राज्य किया । अंतिम राजा-देवपाल सन् ६५४ में हुआ जो कालंजर के चंदेल राजाओं के आधीन हो गया, प्राचीन सिक्के सिंह भवानी और कुतलूपुर में मिले हैं। राजगिर मकरंद नगर, मखदूम जहनिया का टीला, रंगमहल और बालापीर के स्थानों में भी बहुत से पदार्थ मिले हैं।
जर्नल रायल एसियाटिक सोसायटी सन १६०६ से कन्नौज के सम्बन्ध में यह मालूम हुआ कि गुर्जर राजाओं का वर्णन शाका ५५६ या सन ई० ६३४.६३५ के उस शिला लेख में है जो बम्बई प्रांत के कालदगी जिले में ऐहोली के मेघुती मंदिर में
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