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बरेली।
या मोरध्वज हो गया है जिसके सम्बन्ध में यह कहावत है कि वह जैनी था और यह प्रायः निश्चित है कि एक दफे जैन धर्म इस देश में उन्नति कर रहा था। यह अहिछत्र सन् ई० १००४ तक बसा हुआ था। एक खुदा हुआ पाषाण इस सम्बन्ध में मिला है। यहां बहुत से टोले हैं। रामनगर के पालमपुर कोट के मंदिर में जैन मूर्तियां तथा ब्राह्मण व बौद्ध मूर्तिये मिलती हैं तथा कुछ मूर्तिये वृक्षों के नीचे रक्खी हैं।
(२) पिसनहारी की छतरी-किले के पश्चिम १ मील जाकर यह छतरी है। जिसकी जांच सन् १८३३ में की गई थी।
(३) कटारीक्षेत्र नाम के टोले से कनिंघम साहब ने एक बहुत बड़ी नग्न जैन मूर्ति (the largest naked figure which he subsequently considered to be Jain) पाई थी। ___ यह कटारी खेड़ा-किले के उत्तर १२०० फुट है। डाक्टर फुहरर ने सन १९६१-६२ में किले के पश्चिम एक टोले को खोदाया उसके भीतर एक सभा मंदिर मिला व एक मोहरों का भरा वर्तन मिला था। इनमें मोहरें बहुत से भिन्न २ राजाओं की हैं। तथा यह सभा मन्दिर सन् ई० से एक शताब्दी पूर्व का मालूम होता है। फुहरर साहब ने कटारी खेड़ा की पूरी खुदाई कराई तब उन्होंने मालूम किया
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