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अलाहाबाद |
चाय पट्ट का जो पाषाण है उसमें लेख है । इस पाषाण के मध्य में आठ पत्र का पूर्ण प्रफुल्लित कमल है जिसके चारों तरफ चार रत्नत्रय के चिन्ह उसी प्रकार के हैं जैसे कि कुशान समय के मथुरा के पाषाणों में हैं ।
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आय पट्ट का लेख
१ - सिद्धम् राज्ञो शिवमित्रस्य संवच्छर १०, २... खम... ह. ए. कि. य ।
२-- थविरस बलदासस निवर्तन सा. ए, शिवनदिस अं बासिस...
३ - - शिव पालितन आयपटो थपयति अरहत पूजाए ॥ इसका भाव यह है कि सिद्ध हो कि राजा शिव मित्र के बारहवें सम्बत में शिवनंदि की स्त्री शिष्या (आर्यिका ) बड़ी स्थविरा बलदासा के कहने से शिवपालित नेतों की पूजा के लिये यह आय पट्ट स्थापित किया ।
इस लेख के अक्षर प्राचीन कुशान समय के हैं- व भाषा 'स्कृत प्राकृत मिश्र है ।
कनिंघम सर जिल्द १ में विशेष यह है कि यहां राजा उदयन सन् ई० पूर्व ५5० से ५४० तक राज्य करता था । यह उदयन वत्स देश कोशाम्बी के राजा सतनिक का पुत्र था - इसको बत्सराज भी कहते थे । यहां बड़े किले 'की दीवार घेरे में २३१०० फुट I
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