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सं० प्रा० प्राचीन जैन स्मारक ।
और अन्य स्थानों से पाया जाता है । सैय्यद सालार वहरायच में हरा दिया व मार डाला गया था। बहुत संभव है कि यह सुहिल देव एक ऐतिहासिक मनुष्य हो। यह बात जानी हुई है कि जैन धर्म सहठ महेठ में प्रचलित था और एक जैन मंदिर जो नगरध्वंश के बहुत काल पीछे बना था अब भी वहां बना है और आजकल जैन लोग यात्रा के लिये जाते हैं। (नोट-अब वह मंदिर भी गिर गया है टीला मात्र रह गया है । (प्राचीन कहावतें बताती हैं कि सहेठ महेठ के जैनवंश में से गोरखपुर के राप्ती नदी पर डोमनगढ़ के डोमों का उदय हुआ तथा इसी वंश में एक प्रसिद्ध राजा उग्रसेन हो गए हैं जिन्होंने डोमरिया डीह को बनाया था जो एक दफे एक नगर था, परंतु अब एक टीला उस सड़क पर हैं जो गोंड़े से फैज़ाबाद को जाती है।
(१) अशकपुर-पो० महादेव, तहसील तरबगंडा, वजीरगंडा से उत्तर ३ मोल गोंडा फैजाबाद को सड़क पर । यहाँ अशकनाथ महादेव के नाम से एक मंदिर है जिसको राजा सुहिल देव ने बनवाया था अब वहाँ मसजिद बनाई गई है। वास्तव में यह जैन मंदिर होगा।
नोट-जांच होनी चाहिये ।
(२) सहेठ महेठ-प्रारकिलाजिकल सरवे भारत रिपोर्ट सन् १६०७-८ में लिखा है कि सहेठ महेठ में खदाई की गई।
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