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सं० प्रा० प्राचीन जैन स्मारक ।
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(७) नौबस्ता-परगना हथगांव-तहसील खागा
बहुत से टीले हैं जिनपर ईंटें फैली पड़ी है इन टीलों पर बहुत से पाषाण प्राचीन काल के जमा हैं । कुछ फतहपुर के टाउनहाल के बाग में लाए गए हैं।
नोट--इनमें भी देखने की जरूरत है कि कहां २ जैन चिह्न हैं।
(E) रेन-परगना मुत्तौर तहसील गाजीपुर । गाजीपुर से १४ तथा फतहपर से १८ मील । यह जमना नदी के तट पर है । पूर्व को डेढ़ मील जाकर बिंदको से बांदा जाने वाली सड़क पर कीर्तिखेड़ा नाम का एक बड़ा उपयोगी खेड़ा है। यह बड़ी प्राचीन जगह है । रेन से कीर्तिखेड़ा तक पुराने नगर के खंडहर फैले हुए हैं। बांदा की तरफ प्राचीन वस्ती के बहुत से चिह्न है तथा नगर में मुख्य द्वार अब तक मौजूद हैं । बहुत सी इंटें व टीले हैं तथा पत्थर के खंड हैं। इनको इकट्ठा किया गया तो कुछ पाषाणों में जैनमूर्तियां पाई गई और शिल्पकला को प्रदर्शन करनेवाले बहुत से खंड भी मिले । दशवीं शताब्दी का बना एक मन्दिर कोर्ति खेड़ा में है वहां कुछ खुदे हुए पत्थर है । कुछ सड़क के सामने थवई के मन्दिर में रक्खे हैं। ऐसे १२ नमूने फतहपुर के टाउनहाल में भी लाए गए हैं। यहां यह बात प्रसिद्ध है कि यह रेन का स्थान जैनियों के हाथ में था। उनके शत्रु एक राजा का किला वेनुसी पर था जो पूर्व में ५ मोल है। राजवायस
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