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सं० प्रा० प्राचीन जैन स्मारक ।
सात द्वार हैं। इस पर एक सिद्ध की गुफा है जिस पर दो पाषाण लेख सहित पाए गए हैंजिनमें एक राजा और उसके पुत्र जतितधि का वर्णन है । एक चट्टान से जो भैरों की झिरिया कहलाती है, २० फुट ऊपर एक बड़ी नग्न मूर्ति भैरों की है जिसके पास जाने के लिये ढालू चट्टाने लांघनी पड़ती हैं । इस मूर्ति को भिंदके या भिरके भैरों कहते हैं। इस मूर्ति के नीचे सन् १४३२ लिखा है परंतु दाहनी तरफ एक छोटी सी पूजक की मूर्ति है जिस पर संवत ११६४ या सन् ११३७ है। यह मूर्ति = या 8 फुट ऊंची है
नोट-यह अवश्य जैन मूर्ति होनी चाहिये । प्रायः अजैन लोग जैन मूर्ति को भैरों आदि के नाम से पूजने लगते हैं। यहां जांच होनी चाहिये।
(३) सिमन्नी-तहसील बबेरू । बांदा से १८ मील । यह दीक्षित राजाओं की जगह थी।
(४) तरहुवान-तहसील करवी। यह बहुत प्राचीन जगह है। यहां दालमपुर नामका नगर था। कोई कहते हैं यहां तिच्छोकपुर था।
कनिंघम साहब की सर्वे रिपोर्ट जिल्द इकीसवीं से नीचे लिखा हाल और मिला है:
अजयगढ़ का किला-कालंजर से दक्षिण पश्चिम १ ( देखो जर्नल एसिया-सो-बंगाल जिल्द सत्तरहवीं सफा ३२१ )।
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