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झांसी।
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(३) चांदपुर-परगना बलबेहाट, तहसील ललितपुर दुधई और देवगढ़ से प्राधी दूर मध्य में। यहां प्राचीन मन्दिर है। यहां यह कहावत प्रसिद्ध है कि इन जैन मन्दिरों को एक धनाढ्य जैन व्यापारी बनाम पारासाह ने बनवाया था । इस पुराने नगर के मध्य में से जी० आई० पी० रेलवे लाइन जातो है । इस लाइन के पूर्व तरफ नगर का बहु भाग है। उस ओर कई जैन मंदिरों के खंडित अंश हैं जो अब छिन्न भिन्न हो गए हैं।
(४) देवगढ़र-परगना बलबेहाट तहसील ललितपुर । जाखलोन से ७ मील व ललितपुर से १६ मील ।
यह बहुत प्रसिद्ध जगह है । यहां जो वर्तमान में ग्राम है उसमें ११३ मनुष्य रहते हैं खासकर जैन और सहे.
१ देवगढ़-के पास की पहाड़ी पर के टूटे फटे किले में, जिसके अन्दर अब बीहड़ जंगल हो गया है, हजारों खण्डित जिन-प्रतिमायें इधर उधर विबरी पड़ी हैं। इस समय भी वहां पचास जिन मन्दिर पत्थर के बने हुए हैं जिनकी कारीगरी देखने योग्य है। इनकी दीवारों पर हजारों जिन मूर्तियां खुदी हैं । एक मन्दिर के मोहासे पर एक ३० फुट ऊंची खड्गासनस्थ प्रतिमा है जिसे लाग श्रोशान्तिनाथ तीर्थंकर को बताते हैं।
मन्दिरों में इधर उधर शिलालेख भी हैं पर वे एक तो बहुत खराब हो जाने से साधारणतः पढ़े नहीं जाते और दूसरे उन्हें पढ़ने का अभी तक विशेष समुचित प्रयम भी किसी विद्वान् ने नहीं किया है। यह स्थान निस्सन्देह एक बड़ा अतिशय क्षेत्र रहा है। अनुमान होता है कि किसी विधर्मी राजा के धर्म द्वेष के कारण ही इसकी यह दुर्दशा हुई है। इस क्षेत्र की पूरी खोज और उसका उदार करना भागे धर्म का कार्य है।
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