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सं० प्रा० प्राचीन जैन स्मारक ।
राजाभोज, महीपाल व अन्य कनौज के
राजाओं
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के नाम हैं जिनकी तारीखें संवत ६६० से प्रारंभ होकर सं० २०२५ तक हैं। वर्तमान भीत के बाहर कई मंदिरों के स्थान हैं।
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(११) महरौनी तहसील - यहां दक्षिण की तरफ प्राचीन स्थान हैं । चंदेलों के स्मारक बुधनी नरहट, दौलतपुर, गुढ़ा ( खेरिया के पास ), सौराई, मरखेरा, मदनपुर, बानपुर, गुगरद्वार पर हैं तथा बुंदेलों के किले महरौनी, मदगवां, बार, और के लगवां पर हैं । अन्य प्राचीन स्थान हद्दा, झरौता, नरहट, नूनखेड़ा, परल, उल्धन कलां, बुरही, दसरार वरतला और बिलाता पर हैं।
(१२) गरंथ तहसील-झांसी जिले के उत्तर पूर्व कोने में। यहां बहुत प्राचीन स्मारक हैं । थरों पर एक अच्छा चंदेल मंदिर है ।
(१३) वरवासागर - झांसी से १२ मील । यह पुरातत्व की वस्तुओं से मूल्यवान है । उत्तर पूर्व के कोने में एक छोटी सी पहाड़ी है जिस पर भग्न चंदेल मंदिर है । कुछ पूर्व जाकर चंदलों के समय का एक प्राचीन मंदिर है जिसको घघुना मठ कहते हैं । इससे पश्चिम करीब ३ मील जाकर नौमी सदी का एक मंदिर एक टीले पर है जिसको जराह का मठ कहते हैं । वरवासागर में गुप्त समय का एक लेख है । 'कनिंघम सरवे' जिल्द २१ में कथन है:
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