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झांसी।
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(१४) सौरई-शाहगढ़ से पश्चिम २७ मील । मदनपुर से है मील । यहां जैनियों का श्री आदिनाथ का बहुत बड़ा मंदिर है
(१५) मदनपुर-यहां २ जैन मंदिर इस भांति है:
(१) मुख्य ३० फुट से १४ फुट । वेदी =॥ से = फुट । इसमें एक नग्न खड़गासन जैन मूर्ति है । आसन पर लेख है। उसके बाहर एक खंडित श्रासन है जिस पर मत्स्य चिन्ह व सं०१२१२ है (२) दुसरे में ५.जैन मूर्तियाँ हैं जिनमें आदिनाथ, चन्द्रप्रभु व संभवनाथ की हैं। इस मंदिर में = लाइन का बड़ा शिला लेख है, जिसमें सं० १२०६ वैसाख सुदी १० भौमे स्वस्ति श्री मदनवर्मा आदि लेख है।
डा०फुहरर की रिपोर्ट से नीचे का हाल मालूम हुआ है।
(१६) भन्देर-झांसी तहसील से २४ मील । यहां चंदेलों के समय के जैन स्मारकों के खुदे हुए पाषाण नगर में देखे जाते हैं। बादशाह औरंगजेब के समय में जो यहां मसजिद बनी थी उसमें बहुत से जैन खंभे गुम्मज़दार लगे हुए हैं। नगर के पास एक गुफा सहित पहाड़ी है। यहां मंदिरों के ध्वंश भागों से प्रमाणित होता है कि किसी समय यहां बहुत बड़ी जैनियों की पस्ती होगी।
(१७) गहराहो-तहसील माऊझिांसीसे २५ मील । यहां एक पुराना चंदेलों का मंदिर है जिसमें एक लेख है। उससे प्रगट है कि वह चंदेल राजा कीर्तिवर्मा के राज्य में बना था।
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