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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org યુદ્ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सं० प्रा० प्राचीन जैन स्मारक । राजाभोज, महीपाल व अन्य कनौज के राजाओं Τ के नाम हैं जिनकी तारीखें संवत ६६० से प्रारंभ होकर सं० २०२५ तक हैं। वर्तमान भीत के बाहर कई मंदिरों के स्थान हैं। । (११) महरौनी तहसील - यहां दक्षिण की तरफ प्राचीन स्थान हैं । चंदेलों के स्मारक बुधनी नरहट, दौलतपुर, गुढ़ा ( खेरिया के पास ), सौराई, मरखेरा, मदनपुर, बानपुर, गुगरद्वार पर हैं तथा बुंदेलों के किले महरौनी, मदगवां, बार, और के लगवां पर हैं । अन्य प्राचीन स्थान हद्दा, झरौता, नरहट, नूनखेड़ा, परल, उल्धन कलां, बुरही, दसरार वरतला और बिलाता पर हैं। (१२) गरंथ तहसील-झांसी जिले के उत्तर पूर्व कोने में। यहां बहुत प्राचीन स्मारक हैं । थरों पर एक अच्छा चंदेल मंदिर है । (१३) वरवासागर - झांसी से १२ मील । यह पुरातत्व की वस्तुओं से मूल्यवान है । उत्तर पूर्व के कोने में एक छोटी सी पहाड़ी है जिस पर भग्न चंदेल मंदिर है । कुछ पूर्व जाकर चंदलों के समय का एक प्राचीन मंदिर है जिसको घघुना मठ कहते हैं । इससे पश्चिम करीब ३ मील जाकर नौमी सदी का एक मंदिर एक टीले पर है जिसको जराह का मठ कहते हैं । वरवासागर में गुप्त समय का एक लेख है । 'कनिंघम सरवे' जिल्द २१ में कथन है: For Private And Personal Use Only
SR No.020653
Book TitleSanyukta Prant Ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad Bramhachari
PublisherJain Hostel Prayag
Publication Year1923
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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