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गाज़ीपुर।
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जिन पर कुमारगुप्त का नाम लिखा हुआ है। सन् १८८५ में एक चांदी का पात्र इन्हीं खंडहरों के आस पास मिला था जिसमें इसी नाम के दूसरे राजा का लेख था तथा यहां समय समय पर बहुत से सिक्के भी खोदे गए हैं।
(४) वीरपुर-वारा के सामने-गाजीपुर से २२ मील।
तहसील मुहमदाबाद । यह बहुत ही प्राचीन स्थान है। यह चेत राजा टीकमदेव की राज्यधानी रहा है। पुराने सिक्के व पत्थर कोट में मिले हैं।
(५) धनपुर-तहसील जमनिया । यह गाजीपुर से. १६ मील है। ग्राम के दक्षिण-पश्चिम एक पुराना कोट है। उत्तर-पूर्व आधी मील की दूरी पर एक बड़ा टीला और खंडहर हैं । ये दोनों स्थान तथा हिंगोटार में जो खंडहर हैं वे सब सूरियों के कहे जाते हैं। उन्हीं में एक राजा धन देव था जिसने यह स्थान बसाया था। यह वही धनदेवं है जिसके सिक्के मासवान में मिले हैं । यह सैदपुर के निकट है जिसका प्राचीन नाम धनवार था।
(६) दिलदारनगर-जमनिया तहसील से ७ मील तथा गाजीपुर के दक्षिण १२ मील । स्टेशन और ग्राम के मध्य में एक बड़ा टीला है जिसको प्रखंड कहते हैं। ऐसा प्रसिद्ध है कि यह राजानल का स्थान है । तथा इसके पश्चिम एक बड़ा सरोवर है जिसका रानी सागर कहते हैं। यह राजा नल की रानी दमयन्ती के नाम से प्रसिद्ध है।
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