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( १३ ) 156. The stupa must therefore have been built several centuries before the beginning of the Christian era, for the name of its builders would assuredly have been known if it had been erected during the period when the Jains of Mathura carefully kept record of their donations.” (Museum Report 1890-91.)
। अर्थात् “यह स्तूप इतना प्राचीन है कि इस लेख के लिखे जाने के समय स्तूप के श्रादि का वृत्तान्त लोगों को विस्म. रण हो गया था। लिपि के प्रमाण से इस लेख की वर्षे
इंडोसिथियन (शक ) संवत् की प्रतीत होती हैं जिससे लेख सन् १५६ के लगभग का सिद्ध होता है । इसलिये यह स्तूप ईसा से कई शताब्दियां पहले निर्मित हुआ होगा, क्योंकि यदि वह उन समयों में बना होता जबकि मथुरा के जैनी अपने दान आदि के लेख रखने लगे थे तो उसके निर्मापकों का नाम अवश्य ज्ञात हुआ होता।
यद्यपि 'स्तूप' निर्माण कराने की प्रथा बौद्धों के समान ही जैनियों में बहुत प्राचीन काल से प्रचलित है और इसके प्रमाण जैन ग्रन्थों में पाये जाते हैं, तथापि इस स्तूप का पता लगने से पूर्व पुरातत्वज्ञों की धारणा थी कि स्तूप केवल बौद्धों ने ही बनवाये । एलफिन्स्टन साहब लिखते हैं:
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