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अंग्रेज़ी में 'एपीग्राफिश्रा इन्डिका 'ऐपोग्राफिया कर्नाटिका' इन्डियन एन्टीक्केरी' आँर्किलाजिकल सर्वे रिपोर्ट आदि भारी २ पत्रिकाओं में बिखरी पड़ी है जो हिन्दी के पाठकों की पहुंच के परे होने के कारण व अनेक अंग्रेजी जानने वालों को समयाभाव व साधनाभाव के कारण बहुतायत से साधारण व्यक्तियों के परिचय में नहीं आई है। आवश्यकता है कि वह सब एकत्रित कर सुलभ और सर्वोपयोगी बनाई जावे ।
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प्रस्तुत पुस्तक में ब्रह्मचारी जी ने परिश्रम से सरकारी गजैदियों में से संयुक्त प्रांत के जैन स्मारकों के वृत्तान्त निकालकर एकत्रित किये हैं। पाठकों को इसमें जैन स्मारकों का व जहां से वे स्मारक प्राप्त हुए हैं उन स्थानों का परिचय मिलेगा इससे लोगों का उत्साह स्मारकों की खोज में बढ़ने की आशा की जाती है। जो यात्रा करने वाले पुरातत्त्व प्रेमी व धर्म सेवक हैं। उनको यह पुस्तक नायक का काम देगी । संयुक्तप्रान्त की जैनियों के लिये ऐतिहासिक प्राचीनता और धार्मिक महत्ता बहुत भारी है । यह भूमि इतिहासातीत काल में कितने ही तोर्थंकरों के गर्भ, जन्म, तप ज्ञान व निर्वाण कल्याणकों से पवित्र हुई है । 'अयोध्या' पांच तीर्थकरों को जन्म नगरी है । इस काल के धर्म-नायक जैन-धर्म प्रचारक श्री आदिनाथ भगवान् का जन्म इसी नगरी में हुआ था। 'बनारस' में श्री सुपार्श्वनाथ और पार्श्वनाथ
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