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सं० प्रा० प्राचीन जैन स्मारक ।
में गुप्त वंशी राजा चन्द्रगुप्त के हाथ में पाया । कुहाऊं का जो प्रसिद्ध शिलालेख है उससे प्रगट है कि सन् ४५० ईस्वी में इस प्रदेश में राजा स्कन्दगुप्त राज्य करते थे। ग्यारहवीं शताब्दी में यहां कलचुरी राजाओं की पाठवीं पीढ़ी चल रही थी।
जिले के प्राचीन स्मारक ।
( १ ) बरही-परगना हवेली, जिले से १३ मोल, गोरखपुर से रुद्रपुर की सड़क पर । बरही से पूर्व अनुमान दो मीलकी दूरी पर राजधानी, टेगिरी और उपधौली ग्रामों में मौर्य वंशी राजाओं के एक बड़े नगर के भग्नावशेष हैं । राप्ती नदी के ऊपर दीहघाट से गुर्रा नदी के तट तक बहुत से ईटों के टीले हैं और गुर्रा नदी के पूर्व एक बहुत बड़ा टीला है जिसको उपधौलिया डीह कहते हैं । यह टीला लगभग १ मील लम्बा और १६०० फुट चौड़ा है। इसमें ईटों के दो बड़े २ स्तूप हैं। इस उपधौलिया से ईशान दिशा में राजधानी है जहाँ एक और टीला है और इसके आगे केन्द्र के निकट एक बहुत बड़ा ईटों का घेरा है जो १६०० फुट और १३०० फुट है।
(ये सब स्थान खुदाई के योग्य हैं। यहां जैन स्मारको के पाये जाने की संभावना है)
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