Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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[ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग
२६६२. प्रति सं०२। पत्र सं० २५२ । प्रा० १२५६ इच । ले० काल सं०.१८५४ चैत्र बुद्धी ९ । पुणे । श्रेन सं०६७। प्राप्ति स्थान-दि० जन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा)।
२६६३. प्रतिसं०.३१ पत्र सं० २९ 1 ले०काल सं० १६१८ मगसिर सुदी । वेटन सं० २२६ । प्राप्ति स्थान--दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर ।
विशेष--ब्रह्म शामलाल के पठना प्रतिलिपि की गयी थी।
२६६४. प्रति स०४। पत्र सं० ११५ । प्रा० १२४५ इञ्ज । लेकाल X । अपूर्ण । बैंक सं०१। प्राप्ति स्थान-दि. जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर ।
विशेष-वीच २ के.पच नहीं है। प्रत्येक पत्र में ११ पंक्तिर्या एवं प्रत्येक पंक्ति में ४५ अक्षर है।
3 थ के अतिरिक्त भट्टारक सकलकाति स विरचित ववभनाय चरित्र एवं गुणभद्राचार्य कृत उत्तर पुराग के अटित पत्र भी हैं ।
२६६५. प्रति सं० ५। पपसं० २२६ । प्रा० १२४४ इञ्च 1 ले०काल सं० १७३२ मंगसिर खुदी ७ । पुर्ण । बेष्ट सं० १२३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दबलाना दी ।
विशेष-मनोहर ने नेशवा धाम में प्रतिलिपि की थी।
२६६६. पाण्डवपुराग--भाशुभचन्द्र । पत्र स० ४१५ । प्रा० ११X४१ इश्व | भाषामंस्कृत । विषय--पुराण । १० काल सं० १६०८ । ले०काल सं० १७०४ चैत्र सुदी है। पूर्ण । वैधन सं. ६४ । प्राप्ति स्थान--भदि. जैन मंदिर अजमेर ।
विशेष - खण्टेलवालगोत्रीय श्री खेतसी द्वारा गोवर्धनदास विजय राज्य में प्रतिलिपि की गयी थी।
२६६७. प्रति सं० २। पत्रसं० २०४ । आ० १११x६३४ । लेकाल सं० १.६६ भादबा सूदी है। पूर्ण । वेष्टन सं० ३४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर पाश्र्वनाथ चौगान बूदी।
विशेष : माधवपुर नगर के कटाक्षपूर में श्री महाराज जगतसिंह के शासन में भ० श्रीक्षेमेन्द्रकीति के पिप्य थी गरेन्द्र कीत्ति तत्प सुखेन्द्रकीति नदाम्नाये साह मलूकचन्द लुहाड़िया के वश में किशनदास के पुत्र विजयराम शभुसम मेगराज । शम्भुराम के पुत्र द्वौ-जोनदराम पन्नालाल | नौनदराम ने प्रतिलिपि करवाई थी।
यह प्रति बूदी के छोगालाल जी के मन्दिर की है।
२६६८. प्रतिसं०३। पत्र स. २२ । अ० १२४६६ । ले०काल सं० १६७७ माघ शुक्ला २ । पूर्ण । वेस्टन सं० ३११ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बून्दी।
प्रशस्ति संवत् १६७७ वर्षे माघ मास शुक्लपक्षे द्वितीया तिर्धा अम्बात्रती वास्तध्ये श्री महाराजा भावशिष राज्य प्रवर्तमाने श्री मुलस....श्री देवीतिदेया तदाम्नाये खण्डेलवालाम्बये भौंसा गोत्र सा० हुदा भार्या लुदलद .| प्रशस्ति पूर्ण नहीं है ।
२६६६. प्रति सं० ४ । पत्र सं० २४८ । आ० १५ X ५६श्च । ले० काल । पूर्ण । वेष्टन सं०. १६ । प्राप्ति स्थान - दि जैन मन्दिर नागदी, दी।
२६७०. प्रति सं०। पत्र सं० ३०१ । आ० १०३४४५ ह । लेकाल सं० १६३६ । अपूर्ण । । बेष्टन सं०६३ ।' प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर नागदी बूदी ।