Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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६३६ ]
प०६
६१७२. नागकुमार रासव्र० जिनदास हिन्दी पद्य विषय-रास साहित्य १० काल १५ वीं शताब्दि ० ६३ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । ६१७३. प्रतिसं० २ । पत्र [सं० ३१ प्राप्ति स्थान दियपुर। ६१७४ नेमिनाथरास - पुण्यरतनमुनि विषय-कथा २० काल सं० १५८६ ० कॉम X जैन मन्दिर अजमेर ।
विशेष— यदि श्रन्त भाग निम्न प्रकार है । आदि भाग
अन्तिम पाठ
[ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग
चा० ११४४ ' ० १५२६ पूर्ण
०काल सं० २०१५ पूर्ण वेष्टन सं० ५२/१३० ।
सारद पत्र प्रामी करो, नेमिलगा गुण हीइ म्ररेवि । रास भणु रलीयामाउ, गुण गुरुबउ गाइगू संथेवि ॥ १ ॥ हूँ बलिहारी जादव एक रस उरई बालि । अपराध न मइ की कीमउ, काइ छोड़ नवयोवनवान ॥२॥ सोरीपुर खोहामण्ड राजा समुद्रविजय नउ ठाम । शिवादेवी शीि तसु तराणी, अनोप रूपइ रंभ समारा ||३||
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भाषावेष्टन सं०
पत्रसं० ३ ० १०८४३ ४'च भाषा - हिन्दी । पूर्ण वेन सं० ७३२ प्राप्ति स्थानम० दि
संजम पाल्यउ सातसई बरस सहसन पूरउ पूरउ ग्राउ । सादी मामी की पहुंता विरराम ।। ६६ ।। संवत पनरछियासि रास रचित आणी मन भाइ राजगल मंडण लिउ गुरु श्री नदिवर्द्धन सूरि सुपसाई ||६७|| प्रह उठीन प्रणमीय श्री यादवमंडन गिरिनारि । मनबंछित फल ते ते सहर हरिषिद जो गावइ नरनारि ॥ ६८ ॥ समुदविजय तन गुण लिउ सेव कर जर र द पुष्प रतन मुनिवर भर श्री सुसन नेवि जिद ।।६६ ॥ श्री नेमिनाथ रास समापता ।
६१७५ प्रतिसं० २ पत्र सं० २ । श्रा० X ४ ६श्व । ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं ४६० प्राप्ति स्थान भट्टारकी दि० जैन मन्दिर जमेर।
६१७६. नेमिनाथ विवाह लो- खेतसी । पत्र सं० १२ । श्र० ११४४३ इञ्च । भाषा - हिन्दी पद्मविषय - विराह व २०का ० १६२१ साले० काल सं० १७२३ कार्तिक खुदी १४ । पूर्ण देन सं० १०८ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर फतेहपुर मेलावाटी (सीकर)
६१७७. नेमिनाथ फागु - विद्यानंदि । पत्रसं० ४० ० १०x४३ इन्च भाषा - हिन्दी पद्य विषय - फागु २० काल सं० १८१७ माघ सुदी ५ । ले० काल x । पूर्ण वेष्टन सं० ५/३३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)
विशेष प्रति बहुत सुन्दर है तथा ७६३ एव हैं।