Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
View full book text
________________
विलास एवं संग्रह कृतियां [
[ ६६५
६३८२. पद संग्रह। पत्र सं०६३ । भाषा-हिन्दी पद्य । प्रा० १०x४ इंच । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ८१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा।
विशेष-ब्रह्म कपुर, रामयसुन्दर, देवा ब्रह्म के पदों का संग्रह है।
६३८३. पद संग्रह । पत्रसं०६० । भाषा-हिन्दी पद्य । ले. काल पूर्ण । वेष्टन सं० ४५१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पचायती मन्दिर भरतपुर ।
विशेष—दौलतराम देवीदास प्रादि के पदों का संग्रह है।
६३८४. पद संग्रह । पत्र सं० १६२ । भाषा-हिन्दी पछ । ग्रा० ११४६ इन्च । ले. काल । वेष्टन सं० २० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बर।
बिशेष-मुख्यत: निम्न कवियों के पदों का संग्रह हैगवलराम, जगराम, द्यानतराय प्रादि ।
६३८५. पद संग्रह । पत्र मं० १६ । माषा-हिन्दी पद्य । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं०७१ । प्राप्ति स्थान -दि. जैन तेरहपंथी मन्दिर बसवा।
विशेष-निम्न कवियों के पद एवं रचनाएं मुख्यतः संग्रह में हैयशोदेवसूरि पूरिसा दाणी पास जी भेटण अधिक उल्हास
हे प्रभु तावर मनमूख जोडवे अमत लयाग विकाम ।। गुणभद्रसूरि नमस्कार महामंत्र पत्र राजकवि उपदेश बत्तीसी समयसुन्दर
वीलसग तेरा पाया सरसा। गुरगसागर कृष्ण बलिभद्र सिज्झाय ।
मेषकुमार सिजमान्य। अजित देवभूरि पंचेन्द्रिय सिमाय।
पंचबोल चौबीस तीर्थकर स्तवन । महमद
जीवमृत सिज्झाय। महमद
पद पद निम्न प्रकार हैभूलो मन भ्रमरा काई भ्रमै भमै दिवसन राति । मायानो बांध्यो प्रागीयो भ्रम परिमल जाति । कुंभ काचो काया करिसी तेहना करो रे जतन्न । विरासतां बार लाग नहीं निमल रास्त्रो मन्न । अस्यां डूगर जेबडी मरिबो पगना हेठि। घन चीन काई मरो करिधी देवनी बढि । कोना छोरु कोना बाछरु कोना माय ने बाप । प्राणी जावो छ एकलो साथ पुण्य व पाप ॥३॥ मूरिख कहै धन मारो धोखे धान न खाय । वस्त्र बिना जाइ ठिस्यो लखपति लाकड माहि।