Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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१०७२ ]
२८. गुटका सं० ३० पत्र सं०७८८७ हथ विषय-संग्रह २०शान X ले० काल सं० १८९३ माघ सुदी १५ । पूर्ण वेष्टन ०६४
निम्न पाठों का संग्रह है
प्रध
पद्मनंदि पच्चीसी भाषा
हा विमान
समयसार नाटक
स्तोत्रत्रय भाषा
तत्वसार
चोवीस दण्डक आदि पाठ
चेतन परिष
श्रावक प्रति कमरण
सामायिक पाठ
तत्वार्थ सूत्र
सामायिक पाठ भाषा
चरचा शतक
विलोक वर्णन
प्राचार्यादि के गुण वर्णन
पट्टावली
ग्रंथकार
जगतराम
संग्रह सिद्धांतसार दीपक
पंच इन्द्री चोपई
चर्चा समाधान
भगवतीवास
बनारसीदास
चावतराय
भैया भगवतीदास
उमास्वामि
जयचन्द
द्यानतराय
नथमल भूवरदास
भूवरदास मुटके के अन्त में निम्न पाठ लिखा हुआ है-
भाषा
विशेष
हिन्दी, संस्कृत र० काल सं० १७२२
फागु सुदी १०
हिम्दी
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37
15
चांदर ग्राम सुजाण महावीर मन्दिर जहां नन्दराम प्रस्थान ॐ पाठ घंटे पई || ६॥ सुनयन में जुभाई जैसिंह महालसिंह हरपरसाद अभिनन्द यदि जानियो । रोसनचन्द गंगादास ग्रासानन्द मलचन्द सज्जन धनेक तिहां पढे सरधानियाँ ।
#1
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प्राकृत
हिन्दी
संस्कृत
हिन्दी
हिन्दी
[ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग
भाषा-संस्कृत-हिन्दी ।
71
हिन्दी
आगे लिखा है कि १२४६ तक तो
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सामनाम रही लेकिन सं० १३१६ के शान भट्टारक प्रभा चन्द्र जी ने फीरोजसाह पातिसाह के जोग की वस्त्रांगीकार करणा इद्रप्रस्थ मध्ये
यकृत्रिम चैत्यालय बन
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भ
27
र० काल सं० १६६.३
सं०] १२४८ तक है।