Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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१०८४ ]
प्राप्ति
स्थान- दि० जैन मन्दिर बैर ( बयाना )
९१६७. गुटका सं० १ ० १६४ प्रा० ८४ इञ्च भाषा हिन्दी से०काल सं० १७२० : पू । वेष्टन सं० ५६ ।
विशेष-- निम्न गाठों का संग्रह है
चन्द्रगुप्त के सोलह स्वप्न ० रामस्त हिन्दी ले०काल सं० १७२० मानन्दराम मे प्रतिलिपि की थी एवं कुशला गोदीका ने प्रतिलिपि कराई थी।
श्रीपाल स्तुति
रविवार कथा जदी
बारह अनुप्रेक्षा
निमित उपादान
बीस तीर्थंकर जकड़ी चन्द्रप्रभ जकडी
पद
भाऊ
रूपचन्द
बनारसीदास
इनके अतिरिक्त नित्य पूजा पाठ चौर है।
षोडषकारण पूजा
सूर्योद्यापन ऋषिमंडल पूजा
हिन्दी
JP
० जयसागर
27
12
सुशास बनारसीदास
जाको मुख दरस है भगत को नैनन को थिरता बनि बढी चंचलता दिनसी मुद्रा देखि केवली की मुद्रा याद आवे जे जाके मार्ग इन्द्र की विभूति दीसी एसी । जाको जस जगत प्रकास जग्यो हिरदान सोही सूधमती होई इदी सो मलिनसी कहत बनारसी महिमा प्रगट जाकी सोहै जिनकी सवीह विद्यमान जिनसी ॥
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[ प्रन्थ सूची- पंचम भाव
६६६८. गुटका सं० २ । पत्रसं० १०१ । भाषा - हिन्दी (पद्य) 1 ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५ ।
१२६९. गुटका सं० ३३ पद दरगाह कवि०२६।
१९७०, गुटका सं० ४ पत्र सं० २०२ ०६७ इन्च भाषा-संस्कृत-हिन्दी ले० काल सं०] १८१३ पूर्ण वेष्टन ० ३२ ।
विशेष – मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है
सुमतिसागर
संस्कृत
ور
१७२०
קן
१७२५
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पत्र १८ - २०
२६-३७
३७-५५