Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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१२८४ ]
[ प्रयानुक्रमणिका
प्रा.
२२६
ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या 1 ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या सन्त भक्ति
प्रा. ११५४ समयसार टीका-भदेवेन्द्रकीर्ति सं. २२५ सप्त भंगी न्याय
सं २६२ समयसार टीका (अध्या:म तरंगिणी) भ. शुभचन्द्र सप्न भंगी वर्णन सं. २६२
में० २२२ सातव्यसन--विद्यासागर
समयसार नाटर -बनारसीदास हि २२८, मप्तव्यसन कथा--सोमकीति सं० ४६१
२२६, २३०, २३१, २३२, ४३२,४६३
२३३, २३४, ६४१, ६६२, सप्तपसन क्या-भारामल्ल सं० ४६३, ४६४
१६३, ६६४,१८५.९१, सप्तव्यसन गीत सप्तव्यसन चन्द्रावल- ज्ञानभूषण हि. ६६५
१०२२, १०३२, सप्तव्यसन चौपई
१०४०, १०४१, सप्तबार घटी सप्तसमास लक्षा सं०५२०
१०५२, १०७२ नाम स्तवन
सं०७६३
समयसार पीठिका सबद
हि० १०५६
समयसार प्रचार प्रतिबोच যমান।
सं०६६६
समयसार प्राभत-कुदकुदाचार्य प्रा० २२० सभाभूषरण अथ-गंगाराम
हि० १०४६
समयसार भाषा--रूपचन्द हि० २२८ समाविनोद (राग माला)---गंगाराम हि० ६०६
समयसार भाषा टीका-राजमल्ल हिं० २२६,२२७ समाविलास
समयसार वृत्ति-प्रभाचन्द सं० सभागार अन्य
समयसार-रामचन्द्र सोमराजा सं० ५६८ १०४३
समवशरण पूजा-रूपचन्द हि० १०१३, सममित वर्णन समन्तभद्र स्तुति
सम्यक्त्व कौमुदी
स० ६५० समन्तभद्र स्तुति-समन्तभद्र
७६२
मम्यक्त्व कौमुदी समयभूषण-इन्द्रनन्दि
| सम्यक्त्य की मुदी-धर्मकीर्ति सं०४६४ समयसार कलशा-अमृतचन्द्राचार्य सं.
सम्यक्त्व कौमुदी-७० खेता सं० ४६५ २२१ सभ्यक्त्व कौमुदी-जोधराज गोदिका हि० ४६५,
४६६, ४६७, ४६८ समयसार कलशा-पाण्डे राजमल्ल हि. १०४१
सम्यवत्व कौमुदी-विनोदीलाल हि० ४५८ समयसार कलशा टीका-नित्य विजय
२२२
सम्यक्त्व कौमुदी--जगतराय हि० सं.
४६६
| सम्यक्त्व कौमुदी भाषा -मुनि दयानन्द हि० ४६८ समयसार टीका (आत्म च्याति)-प्रवचन्द्राचार्य । प्रा०सं० २२३, | सम्यक्त्व कोभुवी कथा
सं० ४६८, २२४, २२५
२०.
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