Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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१३५० ]
[ ग्रंय एवं प्रथकार
अंधकार का नाम अप नाम ग्रंथ सूची मंथकार का नाम प्रथ नाम नथ सूची पत्र सं०
पत्र सं० धुधारस कथा हि
चौबीस तीर्थ कर जयमाल
चौरासी जयमाल हि.
विनयचन्द्र
नवकार सवैया हि ७३१ नेमिनाथ नवमंगल हि। ७३२, १०४२, १०४५, १०५५, १०७८, १०८०,
विनयचन्द्र सूरि
महावीर स्तवन हि० ७५३ कल्याणामन्दिरम्तोत्र वृत्ति
स० ११४६ चून डीसस :१६ गजसिंहकुमार चरित्र
सं० २१९ गौतमस्त्रामो रारा हि
१.३६, १९५६ चन्द्रदूत काव्य सं० ३२० भले बाबनी हि० १११३ पद्मचरित्र हि.
विनयप्रभ
विनयमेरुविनय समुद्र वाचक गरिण
नेमिनाथ का बारहमासा हि. १०४२, १०८३, १११४, ११२८, १९८० नाभिराजमती का रेखता हि. १००३, १०५४,
१०७७ पद हि. ४३३, १०५३ भक्तामर स्तोत्र कथा हिर
४६४, ५४५, ७४६ मंगल प्रभाती हि०१०६५ रक्षाबन्धन का हि०
विनयसागर
सिंहासन बत्तीसी हि
५०२ विदग्धमुख मंडन टीका
सौ. १९०१ षट्कारक सं.
विनश्वर नदि
राजुल पच्चीसी हि.
अभिषेक पूजा
विमोदीलाल-- लालनंद
१०५४, १०७१, १०७८,
राजुल बारहमासा हि० १००३, १५७१, १०७७,
समवशरण पूजा
हि
आदिनाथ स्तुति हि.
१०६८,१०७७ मादित्यवारकथा हि
१०६६ कृपण पच्चोखी हि
१५८, ९७४ गीतसागर हि १८१ वेतनमारी हि १०८३,
११२६, ११८७
सम्ववत्व कौमुदी हिर
४६८ सम्यक्त्वलीलाविलास
हि. ५०१
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