Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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गुटका संग्रह ]
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१०३१५. गुटका सं० ३३ । पत्र सं० ६६ । प्रा. ४ । भाषा-हिन्दी । ले. कालX । पूर्ण ।वेष्टन सं० ४५३ ।
विशेष –निम्न पाय हैं१. त्रिलोकतार चौपई
सुमतिसागर २. गीत सलूना
कुमुदचन्द १०३१६. गुटका सं० ३४ । पत्र सं० १०० । भाषा-हिन्दी। ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २५२।
विशेष-निम्न पाठ हैं१. पद संग्रह.... २. विनती रिखबरेच जी धुलेय
देवचन्द विशेष-बागड देश में चुलेव के वृषभदेव (केशरिया जी) की दिगम्बर विनती हैं। मंदिर ५२ शिखर हाने का विवरण है । कुल २६ पश्य है।
० रामपाल ने प्रतिलिपि की थी। ३ पंच परमेट्टी स्तुति
७० चन्द्रसागर अन्तिमदिगम्बरी ग महा सिगामार।
सकलकीति गढ़पति गुणबार तास शिष्य कहे मधुरी बारिश ।
ब्रह्म चन्द्र सागर बसारण ॥३२॥ नयर सज्यंत्रा परसिद्ध जाण ।
सासन देवी देवल मनुहार ।। भणे गुणे तिह काल उदार।
तह धर होसे जय-जयकार ॥३३॥ ४. नेमिनाथ लावणी
रामपाल विशेष–रामपाल ने स्वयं अपने हाथ से लिखा था। ५, चौबीस क्षणाचर्चा
हिन्दी ६. अौषधियों के नुसने ७. भ्रमर सिउझाय विशेष—परनारी की प्रीत का वर्णन हैं।
१०३१७. गुटका सं० ३५ । पत्र सं० १०० । भाषा-संस्कृत । ले० काल सं० X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४५० ।
विशेष-निम्न मुख्य पाठ है१. मेघमाला
संस्कृत से काल सं० १७२१
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