Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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[ ग्रन्थ सूची पंचम माग
१०४८५. नलोदय काव्य - X। पत्रसं० २०० १०३४४३ भाषा संस्कृत विषय - काव्य । १० काल X | ले० काल सं० १७१२ वैशाख सुदी । पूर्ण न सं० ६१५ प्राप्ति स्थानभ० दि० जैन मन्दिर अजमेर।
विशेष - नलदमयंती कथा है ।
१०४८६. नवपद फेरी - X काल । पूर्णं । वेष्टन सं० ६५६ १०४८७. नवरत्न कविस - X | पत्र सं० १ विविध २० काल X। ०फाल x | पूर्ण वेटन सं० | । ।
लश्कर जयपुर ।
१०४८८. नवरत्न काव्यः - X पषसं० २ ० १०४ भाषा-संस्कृत विषयकाव्य र०काल x | प्रे० काल x । । पूर्ण वेन सं० २६१ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लटकर जयपुर |
१०४८२ प्रति सं० २ पत्रसं०] १ मा० १०x४३ दस से० काल X पूर्ण मेटन सं० २६२ प्राप्ति स्थान- वि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर
पत्र० ६ प्राप्ति स्थान
२०४६० प्रतिसं० ३ पत्रसं० १ ० ११X५ इस ले० काल X वेष्टन सं० २१३ | प्राप्ति स्थान जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर।
भाषा संस्कृत विषय विविध । २० काल X | दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर ।
१०४११. नारचन्द्र ज्योतिष पंथ-नारचन्द्र पत्रसं० २४
० १२७ इन्च | भाषा - हिन्दी । विषय५३१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर
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ज्योतिष | २० काल X ले०काल सं २०५६ माह बुदी ३ पूर्ण जैन तेरहपंथी मन्दिर (बसपा)
वैदिक साहित्य | र०काल X 1 ले काल X। पूर्ण अभिनन्दन स्वामी बूंदी |
१०४६३. नित्य पूजा पाठ संग्रह - X विषय - पूजा र० काल X। ले०काल X | पूर्ण दलाना (बूंदी)
विशेष --- हिन्दी में धर्म दिया हुआ है। केला नगर में मुनि सोगारथमल ने प्रतिलिपि की भी ।
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भाषा संस्कृत विषय
वेष्टन सं० ४४ प्राप्ति स्थान दि०
१०४६२. नारदोष पुरारा - X पत्र० ३० ग्रा० ६३५३६
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भाषा संस्कृत विषय वेष्टन सं० २०६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर
पत्र० १९ धा० १०३ x ५ इन्च बेष्टन सं० २१९ प्राप्ति स्थान
पत्रसं० २ पूर्ण
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१०४६४. निर्वारण काण्ड भाषा- भैया भगवतीदास पत्रसं० ४ पा० २३४६ ॥ भाषा - हिन्दी (पद्य) विषय-स्तवन, इतिहास ० काल सं० १७४१ ०काल सं० १६५० पौष सुदी २। पूष्ट० १५१ प्राप्ति स्थान दि०जैनलाल पंचायती मन्दिर अलवर |
विशेष प्रति स्वर्णाक्षरों में लिखी हुई है। मुभी रिसकलासजी ने लिखवाकर प्रति विराजमान की थी ।
१०४६५ निर्वाण काण्ड गाथा - विषय-इतिहास] [२०] कॉल X सेकास सं० १८२७ जैन मन्दिर लश्कर जयपुर ।
भाषा संस्कृत । दि० जैन मन्दिर
० १०५ । भाषा प्राकृत नेन सं० २५७ प्राप्ति स्थान दि०