Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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प्रधानुक्रमणिका ]
॥ १२२३
क
सक
हि०
ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संस्था, न थ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या गुणर्मा चरत्र - माणिक्य सुन्दर सूरि गुरु स्तोत्र–बिजयदेव सूरि हि० ७२१
गुलाल मथुरावाद पचीसी- हि० १५५ गुरा विलास-नथमल विलाला
गुर्वावलि
हि०६५२, गुमा वेलि भत धर्मदास
६६०, ११४७ गुणस्थान क्रमारोह
सं० १३ | गुर्वावली (चौसठ ऋद्धि) पूजा--स्वरूपचन्द दिलाला
१३ गुणस्थान गाथा प्रा०
हि गुशास्थान चर्चा सं० १२, १३, , गुर्वावली सजाय
प्रा. ६५१ १६०, ६६७, १८,०६, ६१०, १०५८, | गोत्रिरात्र यतीथापन सं० ११७६
गोगल सहस्त्रनाम
सं०७२१ गुणस्थान चर्चा
प्रा. ११४१ गोम्मट सार-नेमिचन्द्राचार्य प्रा० १५.१६ गुग्गस्थान चौपई - व. जिनदास हि. १४ | गोम्मटसार भाषा-पं० टोडरमल राज० १८, १६ गुश स्थान पीठिका
१०५५ । गोम्मटसार कर्मकाण्ड टीका-नेमिचन्द्र गुणस्थान मार्गरणा चर्क
प्रा० सं० गरपस्थान मार्गणा वर्णन नेमिचन्द्राचार्य गोम्मटसार चर्चा
हि ग० १७ प्रा०
गोम्मटसार धूलिका . सं. गुरास्थान रचना
गोम्मटसार टोका-सुमतिकौति सं० गुणस्थाने वर्णन
गोम्मटसार (कर्मकाण्ड) भाषा :हेमराम गुरगस्थान वृत्ति---मशेखर
६५.१ | गोम्मटसार पूर्वाद्ध (जीवकाण्ड)-सं० गुरावली पूजा
१५६ गोम्मटसार पूर्वाय भाषा-५० टोडरमल गुरावली पूजा : शुभचन्द्र
राज० १५,१९ गुगवली समुच्चय पूजा
७६५ | गोम्मटसार जीवकाण्ड बृत्ति (तत्व प्रदीपिका)गुरावली स्तोत्र ७२१
सं० २१ गुरु अष्टक-श्री भूषण सं. ११६६ | गोम्मटसार (पंच संग्रह) वृत्ति-अभयवन्द्र गुरु जयमाल-द्रजिनदास हि. ७६३,
गोम्मटसार वृत्ति-केशववरणी सं. गुरुषदेश थावकाचार-डालूरामः हि० १०४,१०५ | गोम्मटसार संदृष्टिमा० नेमिचन्द्र प्रा. २१ गुरु पूजा-० जिनदास हि. १०७७ गोम्मट स्वामी स्तोत्र
सं० गुरु पूजा-हेमराज हि ११११ । गोरस कवित्त-गोरखवास
११४५ गुरु राशि मत विचार
११३४। गोरख यक्कर गुरु धिनती संक १७७ गोरखनाथ का जोग
हि. गुरु विरुदावली-विद्याभूषण
११३५ | गोरस विधि गुरु शिष्य प्रश्नोत्तर
१०८८ | गोराबादल कथा--जटमल गुरु स्तरन-नरेन्द्र कीति हि. ११०८ ! गोरोचन काल्प
हि०
प्रा.
१५
गुरावली
सं
११३१