Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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[ ग्रन्थ सूची- पंथम भाग
१०३५७. गुटका सं० २०७२ ० ६ इंच भाषा-हिन्दी-संस्कृत काल ★ पूर्ण वेष्टन सं०] ४४१ |
विशेष – पूजा पाठ तथा विश्दावली है ।
११७० ]
१०२५८. गुटका सं० ३ १० १० ० ६९ इख भाषा - हिन्दी-संस्कृत [वि०काल x । सपू । येष्टन सं० ४४० ।
विशेष – निरम पूजा पाठ संग्रह है
१०३५६. गुटका सं० ४ पत्र [सं० ७-१२२०५६ भाषा - हिन्दी से काल X अपूर्ण वेष्टन सं० २७३ ।
विशेष – कबीरदास के पदों का है ।
१०३६०. गुटका सं० ५ पत्रसं० ३० ० ६x४इ भाषा प्राकृत-हिन्दी पे० काल X अपूर्ण वन सं० २२८ ॥
विशेष – सुगाषित तथा गोम्मटसार चर्चा संग्रह है।
१०३६१. गुटका सं० ६ पत्र सं० २ २३ 1 प्रा० ९x४इन्छ । भाषा - हिन्दी । ले० काल X। अपूर्ण वेष्टन सं० २५१-६४० ।
विशेष वंद्य रसायन ग्रंथ है।
१०३६२. गुटका सं० ७ पत्र सं० ४९ । घा० ५x४ इस भाषा हिन्दी ले काल X । । - । । अपूर्ण वेष्टन २३० ॥
विशेष भिन्न पाठों का संग्रह है
अनंत पूजा धनंततरास प्रति प्राचीन है।
० शांतिदास
ब्र० जिरणदास
I
१०३६३. गुटका सं० ८ ।
से काल X। पूर्ण वेटन सं० २२९ ।
हिन्दी
पत्र सं० ११३ । श्री० ८३ X १ इंच ।
विशेष निम्न पाठों का संग्रह है-
भाषा-संस्कृत-हिन्दी ।
चरचा बासठ
बुधवात
हिन्दी
स्तवन
विशेष- चौबीस तीर्थकरों के पंचकल्याणक तिथि, महिमा वन, शरीर की ऊंचाई बर्खेन, शरीर का रंग तथा तीर्थंकरों के शासन व उपदेश निरूपण का वर्णन है ।
अन्तिम भाग
अन्त एकादण पूरव चौदह और प्रज्ञापति पंच बनाएँ । चुनीका पंच है प्रथमानुयोग सुभ सिद्धान्स सु एकही जानी || प्रकीर्णक चौदह कहे जगदीस सबै मिलि सूत्र एकावत मानो । ए जिन भाषित सूत्र प्रमाण कहे युवलाल सदाचित मानो ॥ ६२ ॥