Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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[अन्य सूची-पंचम माग
नित्य पूजा बुधरासा
, ले०काल सं० १७३७ प्रारम्भ का पाठ निम्न प्रकार है
प्रशमीइ देव माय, पांचाइण कमसी। समशिए देव सहाय जैन सालग सामणी। प्रणमीइ गण हर गोम सामणी । दुरियणासे जेने नानि सद्गुरु वेसिणिरो कीजे ।
अन्त में
संवत् १७३७ मंगसर सुदी ११ सैगडी फिलाणजी खीमजी पठनार्थं । राजा यशोधर चरित्र- हिन्दी काया जीव संवाद गरित हिन्दी अंतिम भाग निम्न प्रकार है
गंगदास ब्रह्म पसाये राणी काय जीव सुवादडो ।
देवजी ब्रह्म गुण गाय राणीला । इति काथा जीव सुवादजीघ संपूर्ण ।
मी पाड का लाल जी कलाजी स्वलिखिता।
संवत् १७१२ वर्षे प्राषाढ वदी ११ गुरौ श्री उज्जेणी नगरे लिखता । यशोधररास
ब्रह्म जिनदास श्रीणिकरास
से काल सं० १७१३ माघ सदी ५ विशेष-अहमदाबाद नगर में प्रतिलिपि हुई थी। जिनदत्तरास
हिन्दी पर्छ । १०२४३. गुटका सं० १५ । पत्र सं० ११ । प्रा. ८४७ इच । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले० काल सं० १७३० । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३७२ ।
विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है। अनन्तवत रास
व जिनदास हिन्दी जिनसहस्रनाम स्तोत्र , पाशाधर
संस्कृत ले.काल सं० १७१६ प्रद्य म्न प्रबंध ,
हिन्दी १०२४४. गुटका सं०१६ । पत्रसं० ३६ 1 श्रा० ६४४ ह । भाषा-संस्कृत । लेकाल X । पूर्ण । बेष्टन सं० ३७३ ।।
विशेष-नंदीश्वर पूजा जयमाल ग्रादि है।