Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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[ प्रन्थ सूची- पंचम भाग
१०१४०. गुटका सं० २७ । पत्रसं० २ २३ | श्र० ७४५ इन्च भाषा - हिन्दी । अपूर्णं । वेष्टन [सं०] ७६३ ॥
विशेष – गुटका प्राचीन है। भोज चरित्र हैं पर लेखक का नाम नहीं है ) इसमें रतन सेन और पावती की भी कथा है।
१०१४१. गुटका सं० २८ पत्र०४-२४४ मा ६३ ५ भाषा-संस्कृत-हिन्दी अपूर्ण । वेष्टन सं० ७६४
विशेष – मुख्यतः नित्य नैमित्तिक पाठ पूजा का संग्रह है। पत्र खुले हुए हैं।
१०१४२. गुटका सं० २६ । पत्रसं० १५-११८ १ ० ५४४ इश्व । भाषा - हिन्दी अपूर्णं । बेटन सं० ७६५ ।
विशेष-भूधरदास, दागतराय व दुधजन यादि कवियों के पदों का संग्रह है। १०१४३. गुटका सं०] ३० सं० १८४९ | पूर्णं । वेष्टन सं० ७६६ ।
पत्र [सं० ६
विशेष लक्ष्मी स्तोत्र, शान्ति स्तोत्र यादि देवेन्द्रकीति के पं० नोनंदराम ने किशनपुरा में प्रतिलिपि की थी।
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१०१४४. गुटका सं० ३१ । पत्रसं० १६ | श्र० ३ ३ ४ ४ ३ ६ च । भाषा - हिन्दी संस्कृत | पूर्ण । बेष्टन सं० ७६७ ।
विशेष- नित्य पाठ करने योग्य स्तोत्र पूजा एवं पाठों का संग्रह है।
० ७९.६
१०१०५. सूटका सं० ३२
पूर्ण वेष्टन सं० ७६
विशेष- इसमें कठुवाहा राजाओं की बजावली है महाराजा सहि जी तक १८७ पीढ़ी नाई हैं । श्रागे बंशावली की पूरी विगत भी दी है।
१०१४६. गुटका सं० ३३ । पत्रसं०] ११ ० ६३ भाषा हिन्दी सस्कृत पूर्ण वेटन
० ६x४३ इन्च भाषा-संस्कृत से काम
पत्र० ७ ० ५४ ३ भाषा - हिन्दी-संस्कृत |
विशेष – नित्य पूजा पाठों का संग्रह है।
१०१४७. गुटका सं० ३४ पत्र सं ० ४ ० ४३४ इञ्च भाषा - हिन्दी-संस्कृत | पूर्ण वेष्टन सं० 500
विशेष प्रौषधियों के हैं तथा कुछ पद भी हैं।
पूर्ण वेष्टन सं० ८०२ ।
१०१४८. गुटका सं० ३५० ७० प्रा० ५६ x ४ इख भाषा - हिन्दी-संस्कृत पूर्ण न सं० ८०१ ।
विशेष-पद स्तोत्र एवं अन्य पाठों का संग्रह है। गणेश स्तोत्र (१७२५ का काल ) १०१४९. गुटका सं० ३६ । पत्रसं० २०६२।०६३४३
१. मुनीश्वरों की जयमाल
२. पंचम गति वेलि
३. पद संग्रह
हिन्दी
हर्षकीर्ति
भाषा संस्कृत-हिन्दी
१० काम सं० १९८३