Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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[ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग
१६. बारहमासा--पांडेजीवन । हिन्दी । २८५-१६० । २०. पद संग्रह x
१९१-२१५ । २१. शील चूनडी- मुनि गुणवन्द । हिन्दी । २१६-२२५ । २२, ज्ञान चूनडी-भगवतीदास
२२६-२३० । २३. नेभिचन्द्रिका ४ ।
२३१-२७८ ।
र०काल सं० १९८०1 २४ रविनत कथा XI , २७६-३०८ । १०१६.०. गुटका सं०३७ । पत्र सं० ५६ । पा० ६४४ इन्च । भाषा-हिन्दी । ले०कास ४ ।
पूर्ण।
विशेष-भक्तामर स्तोत्र *द्धि मंत्र सहित एवं हिन्दी अर्थ सहित है : पवारण दनि सोई भाषा भी है।
१०१६१. गुटका सं० ३८ । पत्रसं० २४ । मा० ६३४४ हञ्च । भाषा-संस्कृत । लेकाल पूर्ण।
विशेष-दृत बंध पद्धति है।
१०१६२. गुटका सं० ३६ । पत्रसं० ३१६ । प्रा० ४६x४ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत्त । लेकाल सं० १९६१ बंशाख सुदी १५ । पूर्ण ।
विशेष-नबाबगंज में गोपालचन्द वृन्दावन के पोते सोहनलाल के लड़के ने प्रतिलिपि की थी।
५५ स्तोत्रों का संग्रह है। जिल्द लकड़ी के फेम पर है जिसमें लोहे के वकसुए तथा खटके का ताला है 1 पट्टों में दोनों ओर ही अन्दर की तरफ कांच में जड़े हुए नेमिनाथ एवं पद्मप्रभ के पदमासन चित्र है। चित्र अन्वेताम्बर प्राम्नाय के हैं। प्रारम्भ के पत्रों में दोनों ओर मिलाकर ४६ वेलबूटों के सुन्दर चित्र हैं। चित्र भिन्न प्रकार के हैं। इसी तरह अन्तिम पत्रों पर भी पेड़पौधों मादि के १६ सुन्दर चित्र हैं।
१. ऋषिमंडल स्तोत्र-पोतमस्वामी। संस्कृत । पत्र तक २. पदमावती स्तोत्र-x। संस्कृत । १८ तक ३. नवकार स्तोत्र--- ।
२० तक ४. अकलंकाष्टक स्तोत्र-x। " २३ तफ ५. पद्मावती पटल-X । संस्कृत । २७ तक ६. लक्ष्मी स्तोत्र-पदमप्रभदेव , २८ तक ७ पार्श्वनाथ स्तोत्र---राजसेनी ३१ तक मदन मद हर श्री वीरसेनस्य शिष्य,
सुभग बचन पूरं राजसेन प्रणीतं । जयति पमिति नित्यं पार्श्वनाथाकाय,
स भवत्त सित्र सौख्यं मुक्ति श्री शांति वीम ।। बिगत व्रजन यूथं नौम्यहं पार्श्वनाथं ।।