Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
View full book text
________________
१०७८ ]
बारह भावना श्रादित्यवार कथा
बारहखडी राजुल पच्चीसी
अक्षर बावनी
नवमंगल
पद
धर्म पच्चीसी चाहनाने की कथा
विनती
विनोदीलाल
देश वहाँ
बनारसीदास
श्रचलकीर्ति
अमल
कौन जाने कल की खबर नहीं इह जब में पल की।
यह देह तेरी गरम होपसी चंदन चरची ॥
सतगुरु तें सीखन मानी विनती अमल की
भक्तामर स्तोत्र
तत्वार्थ सूत्र पंच मंगल
जिन महसनाम
नवले
सुरेन्द्र कीर्ति
विशेष मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है-
मानतु चार्य उमास्वामी
पत्र
लक्ष्मी स्तोत्र
विनली
पितामर स्तोत्र
सूरल
लालबन्द विनोदीलाब
द्यानतराय
ध्यान वरन
बावनी
MAAJ
--
रूपचन्द
जिनसेनाचार्य
इनके अतिरिक्त देवा ब्रह्म विनोदीलाल, मूधरदास मादि के पदों का संग्रह है।
,
मारक, रत्नकीर्ति
पद्म प्रम
वृन्द
हर सुख
संस्कृत
६६४०. गुटका सं० ६ प ११२ । प्रा० ७१X५ इञ्च । भाषा संस्कृत | ले० काल X पूर्ण वेष्टनसं० ९९|
35
हिन्दी
संस्कृत
हिन्दी
संस्कृत
हिन्दी
32
13
S
T
पद्म
11
J
가
"
श
[ ग्रन्थ सूची पंथम भाग
० काल सं० १७४४
(२०काल सं० १७५८ )
३३
५६
६६४१. गुटका सं० ७ पत्रसं० २२ श्र० ७४५ इव भाषा-संस्कृत-हिन्दी । से० काल X पूर्ण वेष्टन सं०६८।
विशेष नित्य पाठ संग्रह है।
•
४५
४८
६२
६२
२५