Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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गुटका संग्रह ]
विशेष- तश्वासू भाषा टीका एवं अ० रायमल्ल कृत नेमीश्वर रास है।
६२६७. गुटका सं० १६० । पत्रसं० २३४ ० ७४६ भाषा-संस्कृत ०काल सं० १७२५ माघ बुद्दी पूर्ण वेष्टन सं० ०६१ ।
विशेष निम्न पाठों का संग्रह है।
सर्वार्थसिद्धि
मालापद्धति
नीति शास्त्र
तेरह काठिया
छत्तीस अध्यात्म बत्तीसी
तत्वार्थ सूत्र
२८. गुटका सं० १६१ ० २६० ५x४ इन्च भाषा हिन्दी संस्कृत । काल XI पूर्ण । ६२ ।
विशेष निम्न पाठों का संग्रह है।
रत्न डरास पद्म सं० ३१२
संस्कृत हिन्दी
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आदि प्र ेत भाग निम्न प्रकार है--- प्रारम्भ दोहा
चौपई
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६२६६. गुटका सं० १६२ । पत्र सं० २४ ० ४४ च । भाषा पंस्कृत-हिन्दी । ले० काल x । पूर्णं । बैष्टन रा० ८६४ |
विशेष – सामान्य पाठ, भक्तामर स्तोत्र मंत्र सहित एवं मत्र शास्त्र का संग्रह है
१३००. गुटका सं० १६३ पत्रसं० १६६० ६५ इन्च भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले काल X पूर्ण वेष्टन सं० ८६३ ।
पूज्यपाद देवसेन
यांशु चित पसाब
सरस्वति देवि पाय नमी रतन गुणा व दान जसु नाम ॥ १ ॥ जंबूद्वीप मांहि अछ, भरत क्षेत्र प्रतिचंग । तामली नवरी तिहां राजा अजित नरिंद ||२|| किस नवरी के जिन वसइ वरण अठारह लोक भोग पुरंदर भोगाइ, सुख संपति सुरलोक ॥ ३॥
विशेष—ह्मविलास एवं बनारसी विश्वास के पाठों का संग्रह है। इसके अतिरिक्त रत्नदरास (र० काल सं० १५०१) एवं सुखा बहुतरी भी हैं।
सरोवर वाद करी प्राराम, तिहां पाप विकरतु अभिराम विषध वृष छ तिहि वन मोहि बसन पास बस परवाहि ॥४॥
चाणक्य बनारसीदास
बुधजन
बनारसीदास
उमास्वामी
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