Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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सुटका संग्रह ]
[ १०३५
६६६८, गुटका सं० २८ । पत्रसं० १३८ । मा० ६४५ इन्च । भाषा-संस्कृत । लेकाल सं० १७६४ सावरण सुदी ६ । पूरणं । वेष्टन सं० २८२ ।
विशेष.--निम्न पाठों का संग्रह है-- भक्तामर स्तोत्र मानतुगाचार्य
संस्कृत तत्वार्थ सूत्र
उमास्वामी कल्याण मन्दिर स्तोत्र
कुमुदचन्द्र भूपाल चतुर्विंशतिका
भूपाल लघु सहस्रनाम
फुल १३८ । है हैनमें प्रो मा प्रदिए ।
६६६६. गुट का सं० २६ । पत्र सं० ७६ | प्रा० ६४६ इन्छ । भाषा-हिन्दी । ले०कास ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८३ ।
विशेष - नित्य पूजा पाय के अतिरिक्त निम्न पाठों का और संग्रह हैरत्नत्रय पूजा
हिन्दी योगीन्द्र पूजा क्षेत्रपाल पूजा
९७००. गुटका सं० ३० । पत्रसं० १६४ । प्रा० ८४६३ इन्च । माषा-प्राकृत-हिन्दी । से०काल सं० १६१६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८४ ।
विशेष-निम्न रचनाओं का संग्रह हैसुगुरु शतक जिनदास गोधा
हिन्दी पद्य पत्र र०काल सं० १८५२ । (ले० काल सं० १६१६)
कराबता नगर में प्रतिलिपि हुई थी। ढाल गासार सामायिक पाठ
प्राकृत सामायिक पाठ भाषा श्याम
हिन्दी सो सामायिक साधसी लहसी अविचल थान । करी त्रोपई भावसु' जैसराज सुत स्याम ॥
(२०काल स. १७४६ पौष सुदी १०) विषामहार समोत्र धनजय
संस्कृत सामायिक वचनिका जयचन्द छाबड़ा
हिन्दी (ग) जैनबद्री यात्रा वर्णन सुरेन्द्रकीति
हिन्दी मंदिर चैत्यालय आदि का जहां जहां यात्रा गये वर्णन मिलता है। भामेर घाट प्रादि का भी वर्णन किया हुआ है। लपक पंचासिका जिनदास
हिन्दी (पध)जनेतर साधुओं की पोल खोली गई है। हक्कानिषेध भूधर
हिन्दी
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